पुराने साथियों को सताते रहिये,
प्रेम और क्रोध भी जताते रहिये।
कभी हाले दिल ही बताते रहिये,
कभी अपनी खबर सुनाते रहिये।
छठे छमाही समय निकाल कर,
*दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।*
दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये | The Daily Buzz podcast - Listen or read transcript on Metacast