Bandar Aur Topiwala : बंदर और टोपिवाला
Jul 07, 2017•3 min
Episode description
यह कहानी हमें ये शिक्षा देती है के नक़ल के लिए भी अक्ल चाहिए।
एक टोपी बेचने वाला व्यापारी गाँव गाँव में टोपियाँ बेचा करता था। एक दिन वह दोपहर के समय जंगल में जा रहा था कि थककर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। उसने टोपियों की गठरी एक तरफ रख दी। थोड़ी देर में टोपी वाले को नींद आ गई। पेड़ पर कुछ बंदर बैठे थे। उन्होंने गठरी खोल लीऔर अपने नक़लची स्वभाव के कारण सभी बंदरों ने भी टोपियां पहन लीं। फिर सभी बंदर मस्ती में उछल-कूद करने लगे। उनकी उछल-कूद से व्यापारी की नींद खुली और व्यापारी बड़ा दुखी हुआ वह सिर से टोपी उतार सोच में अपना सिर खुजलाने लगा तो उसने देखा कि बंदर भी वैसा ही करने लगे। व्यापारी को एक उपाय सुझा। उसने जानबूझ कर बंदरों को दिखाते हुए अपनी टोपी गठरी पर फेंक दी। बंदरों ने भी उसकी नक़ल करते हुए अपनी-अपनी टोपी फेंक दी।
एक टोपी बेचने वाला व्यापारी गाँव गाँव में टोपियाँ बेचा करता था। एक दिन वह दोपहर के समय जंगल में जा रहा था कि थककर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। उसने टोपियों की गठरी एक तरफ रख दी। थोड़ी देर में टोपी वाले को नींद आ गई। पेड़ पर कुछ बंदर बैठे थे। उन्होंने गठरी खोल लीऔर अपने नक़लची स्वभाव के कारण सभी बंदरों ने भी टोपियां पहन लीं। फिर सभी बंदर मस्ती में उछल-कूद करने लगे। उनकी उछल-कूद से व्यापारी की नींद खुली और व्यापारी बड़ा दुखी हुआ वह सिर से टोपी उतार सोच में अपना सिर खुजलाने लगा तो उसने देखा कि बंदर भी वैसा ही करने लगे। व्यापारी को एक उपाय सुझा। उसने जानबूझ कर बंदरों को दिखाते हुए अपनी टोपी गठरी पर फेंक दी। बंदरों ने भी उसकी नक़ल करते हुए अपनी-अपनी टोपी फेंक दी।