51 Shaktipeeth with Nishtha - podcast cover

51 Shaktipeeth with Nishtha

आदि शक्ति स्वरूपा शिव की अर्धांगिनी बनी माता सती के शव के 51 भाग ही 51 शक्तिपीठ कहलाएं। सतयुग में जब ब्रह्म देव के पुत्र दक्ष ने द्वेष और घृणा भाव में पुत्री सती और दामाद महादेव को अपमानित किया, जिस कारण माता सती ने अपनी योग अग्नि से स्वयं को भस्म किया। इस पॉडकास्ट सीरीज में हम जानेंगे महादेव और सती की प्रेम कहानी। साथ ही जानेंगे मानव कल्याण के लिए बने ये शक्तिपीठ कहाँ पर स्थित है और उनकी मान्यताएं क्या है। निष्ठा सारस्वत द्वारा रिटेन, रिसरजड एंड होस्टेड पॉडकास्ट में महादेव की आवाज़ RJ रघु रफ़्तार ने, विष्णु की आवाज़ विपिन सिंह ने, दक्ष की आवाज़ RJ शरत ने, सती/आदिशक्ति की आवाज़ दीक्षा चौरसिया ने, ब्रह्मा की आवाज़ आशीष भुसाल ने और प्रसूति की आवाज़ ज्योति तिवारी ने दी है। ये सीरीज जानकारी के लिए आपसी कही-सुनी मान्यताओं पर बनाई गयी है। इसलिए इससे जुड़े किसी भी विवाद के हम उत्तरदाई नहीं है। Podcast thumbnail art credits - @devipratyakshaa
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Episodes

विंध्यवासिनी शक्तिपीठ - मिर्जापुर, उत्तरप्रदेश

51 शक्तिपीठों की ये यात्रा आप सबके साथ बहुत ही सुंदर रही, इस पॉडकास्ट के अंतिम एपिसोड में हम चल रहे हैं माता के अंतिम धाम क्योंकि इस स्थान का न कोई आदि है न अंत है. वो अनंता यहां अनंत तक के अपने पूर्ण वास में है. उत्तर प्रदेश की राजधानी से 286 km और लगभग 6 घंटे की दूरी पर और प्रयागराज से 83 km लगभग 1:45 की दूरी में स्थित है मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ. विंध्यवासिनी धाम के द्वारपाल हनुमान बाबा और भैरवनाथ है उनकी आज्ञा के बिना इस क्षेत्र में कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता. विंध्य क्षेत्र का वर्णन हमारे ...

Feb 16, 202422 minEp. 53

यशोर- यशोरेश्वरी शक्तिपीठ - ईश्वरीपुर, बांग्लादेश

माता सती का यशोरेश्वरी शक्तिपीठ का अर्थ है जैसोर की देवी, पहले ये पूरा स्थान जैसोर के नाम से ही जाना जाता था, किंतु अब एक जिले तक सिमट कर रह गया है. यहां के स्थानीय हिंदू लोगों की ये कुल देवी है. यहां की शक्ति है मां यशोरेश्वरि और भैरव को चंद्र के नाम से पूजा जाता है. मान्यता है की इस स्थान पर माता की पैरो के तलवे का निपात हुआ था. यशोरेश्वरी शक्तिपीठ में मां की उपासना महाकाली रूप में की जाती है पूरी कहानी के लिए सुनिए हमारा ये एपिसोड. Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoice...

Feb 15, 202414 minEp. 52

कुंजापुरी देवी शक्तिपीठ - देहरादून, उत्तराखंड

देव भूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 55 km और लगभग 1 घंटा 15 min की दूरी पर एक पहाड़ की चोटी पर 1676 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है मां कुंजापुरी देवी शक्तिपीठ जहां माता के (वक्ष) कुंजभाग का निपात हुआ था. यहां की शक्ति है मां कुंजा और शिव यानी भैरव को भैरवनाथ कहते है. यह स्थल अपनी अनुपम सिद्ध शक्तियों के लिए तो जाना ही जाता है. गुलाबी लाल और सफेद रंग का यह मंदिर बहुत ही सुंदर, पहाड़ी घरों जैसा है, इसका शिखर सफेद और लाल रंग का है, जिस पर माता का ध्वज लहरा रहा है. गर्भगृह के प्रवेश पर लिखा है "ओम ...

Feb 14, 202414 minEp. 49

वैष्णों देवी शक्तिपीठ - कटरा, जम्मू

सभी शक्तिपीठों में वैष्णों देवी शक्तिपीठ की सबसे अधिक महिमा है क्यूंकि यहाँ माँ महालक्ष्मी, माँ महाकाली, माँ महासरस्वती के तीनों रूप तीन पिण्डियों के रूप में साक्षात् विराजमान है. इनकी सम्मलित शक्ति को ही वैष्णों देवी कहा गया है. जम्मू से कुछ दूर कटरा की त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है वैष्णों देवी शक्तिपीठ. यहां की शक्ति है माँ वैष्णवी और यहाँ के रक्षक और प्रहरी स्वयं शिव रूप हनुमान है जो चिरंजीवी है. कुछ लोगों का मानना है कि इस स्थान पर सती माता का कपाल/खोपड़ी निपात हुआ और कुछ कहते है कि यहाँ दाहिने ...

Feb 13, 202428 minEp. 51

कंकाली ताला मंदिर | देवगर्भा शक्तिपीठ - कंचन नगर, पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में शांतिनिकेतन के पास ही बोलपुर में कोपाई नदी के किनारे स्थित है माता का कांची देवगर्भा कंकालिता शक्तिपीठ, माना जाता है कि भगवान शिव के तांडव के समय माता सती के शरीर का कंकाल यहां आकर गिरा, इतने शक्तिशाली प्रभाव के कारण यहां की धरती दब गई, पानी भर गया और एक कुंड का निर्माण हुआ. ये कुंड आज भी यहां स्थित है. माना जाता है कि कुंड के नीचे आज भी मां की अस्थियां स्थित है. कुंड के साथ ही माता का शक्तिपीठ मंदिर स्थापित है. यहां की शक्ति हैं मां देवगर्भा और भैरव को यहां रूरू के नाम से पूजा ...

Feb 05, 20249 minEp. 50

माया देवी शक्तिपीठ - हरिद्वार, उत्तराखंड

गरुड़ पुराण में इस सृष्टि की 7 मोक्षदायीनी पवित्र नगरियां यानी पुरियां हैं. अयोध्या, मथुरा, माया यानी हरिद्वार, काशी, कांचीपुरम, अवंतिका यानी उज्जैन, द्वारिकापुरी है. इस एपिसोड में चलेंगें प्रजापति दक्ष की राजधानी मायापुरी जो आज का हरिद्वार है. माया देवी शक्तिपीठ जहां देवी सती के हृदय का एक भाग आकर गिरा .कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यहां मां की नाभी गिरी थी इसीलिए ये स्थान ब्रह्मांड का केंद्र है. यहां की शक्ति है माया देवी और भैरव को आनंद भैरव कहा जाता है. माया देवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देव...

Jan 29, 202419 minEp. 48

जयंती जयंता शक्तिपीठ | श्री नर्तियांग दुर्गा मंदिर - जयंतिया पहाड़ी, मेघालय

मेघालय की राजधानी शिलांग से लगभग 2 घंटे या 62 km ki दूरी पर जयंतियां हिल्स में स्थित है माता का अत्यंत सुंदर धार्मिक आभा से प्रकाशित जयतेश्वरी शक्तिपीठ जिसे जयंती शक्तिपीठ और नर्तियांग दुर्गा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. शक्तिपीठ मंदिर के पास तीन गुफाएं है जिनमें क्रमशः ब्रह्मा विष्णु और भैरव शिव के मंदिर है यहां महादेव के इस मंदिर में जयंतिया राज के पुराने आयुध और शस्त्र भी संरक्षित करके रखे गए हैं। मुख्य मंदिर मेघालय की पारंपरिक खासी शैली में बना हुआ है. नर्तियांग के इस मंदिर में नवरात्र क...

Dec 28, 202315 minEp. 47

त्रिपुरासुन्दरी | त्रिपुरेश्वरी शक्तिपीठ - उदयपुर, त्रिपुरा

10 महाविद्याओं में चौथी महाविद्या है मां त्रिपुरसुंदरी, जिन्हें ललिता देवी भी कहा जाता है, इनका स्वरूप 16 वर्ष की कन्या का है जो 16 कलाओं से युक्त है, इसलिए इन्हें षोडशी भी कहते है माँ के अनेकों नाम है ललिता, माहेश्वरी, शक्ति, राजराजेश्वरी। महाविद्याओं में से सबसे मनोहर रूप में पूजी जाने वाली सिद्ध देवी यही हैं। भारत के छोटे से राज्य, त्रिपुरा, में उदयपुर शहर के राधाकिशोरपुर जनपद में स्थित है मां त्रपुरेश्वरी शक्तिपीठ। इस स्थान का नाम इनके नाम पर हुआ है। यहां के भैरव त्रिपुरेश हैं। माना जाता है ...

Nov 21, 202315 minEp. 46

विमला शक्तिपीठ - जगन्नाथ पुरी, उड़ीसा

उड़ीसा के पूरी मंदिर में जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की स्थापना से भी युगों पहले सतयुग से स्थित है माता सती का विमला शक्तिपीठ. जहां देवी मां के उत्कल क्षेत्र यानी नाभी का निपात हुआ था. यहां की शक्ति है महादेवी और भैरव को जगन्नाथ कहते हैं. क्या आप जानते है की भगवान विष्णु मां आदिशक्ति को अपनी बहन मानते हैं। उनका प्रेम इतना है की पुरी के श्रीजगन्नाथजी के मंदिर में अभी भी यह व्यवस्था है कि पुरुषोत्तम जगन्नाथ के प्रत्येक भोग, उनको तरह-तरह के 56 प्रकार के नैवेद्यों का भोग लगाया जाता है. इसी भोग को महाप...

Oct 20, 202318 minEp. 45

कालिका शक्तिपीठ - कालीघाट, कोलकाता

कालीका शक्तिपीठ में देवी आदिशक्ति काली रूप में साक्षात विराजती है। मां काली दस महाविद्याओं में से एक है। कहते हैं की इस स्थान पर देवी सती के दाहिने पैरो की उंगलियां स्थापित हैं। यहां की शक्ति है मां कालिका और शिव यानी भैरव यहां नकुलीश के नाम से रहते है। तांत्रिक विद्या साधना में काली मां को विशेष प्रधानता प्राप्त है भाव बंधन मोचन में मां काली की उपासना सर्वोच्च कही जाती है। देवी काली की मूर्ति श्याम रंग की है ,उनके सोने से बने बड़े बड़े त्रिनेत्र है, मां की जिव्हा स्वर्ण से बनी बहुत लंबी है। आंख...

Sep 18, 202317 minEp. 44

गुह्येश्वरी शक्तिपीठ - काठमांडू, नेपाल

हर साल नवरात्रि में गुह्येश्वरी शक्तिपीठ में मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें भारत, भूटान सहित कई देशों से श्रद्धालु दर्शन करने आते है।यहां नवरात्र के साथ 10 दिवसीय दशैन उत्सव भी मनाया जाता है। इसमें माता की भव्य सवारी पालकी पर निकलती है. इस जगह पर भगवती सती के शरीर के दोनों घुटनों का निपात हुआ। इसलिए यहां की शक्ति गुह्यश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध है यहीं पर चंद्रघंटा योगिनी तथा सिद्धेश्वर महादेव का प्रादुर्भाव हुआ यहां शिव शक्ति एकरूप में विराजमान है। गुह्येश्वरी देवी शक्तिपीठ नेपाल के काठमा...

Aug 29, 202320 minEp. 43

देवीपाटन शक्तिपीठ | देवी पातालेश्वरी - पटना, बिहार

इस एपिसोड में होस्ट निष्ठा सारस्वत आपको लेकर चल रही हैं, उस पावन धरती पर जहां माता सीता माता धरती की गोद में समा गई थी। ये स्थान माता सती का ही शक्तिपीठ है जिसे माता सती के बाए कंधे और वस्त्र का निपात होने से देवी पाटन और देवी सीता के पताल लोक सामने से पातालेश्वरी कहा जाता है। जानिए माता सीता और मां सती के अद्भुद संबंध की अनसुनी पावन कहानी, देवी पाटन पातालेश्वरी शक्तिपीठ की महत्ता, इतिहास, मंदिर विवरण और कैसे पहुंचे कहां रहे विस्तार से। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoi...

Aug 08, 202318 minEp. 42

इंद्राक्षी शक्तिपीठ | नागापुष्णी अम्मा - जाफना, श्रीलंका

भारत से बाहर होकर भी अपनी भव्यता इतिहास महत्ता के लिए प्रसिद्ध है इंद्राक्षी मंदिर। देवी आदिशक्ति जो स्वयं प्रकृति है, जो सुंदरता की परिभाषा है, जिनसे सोलह श्रृंगार की कला समस्त स्त्रियों ने सीखी, उन्ही मां आदिशक्ति सती के नुपुर अर्थात घुंघरू श्रीलंका के जाफना में आकर गिरे और इसी स्थान पर इन्द्राक्षी या शंकरी शक्तिपीठ की स्थापना हुई थी। यहां की शक्ति को मां इंद्राक्षी, शंकरी और नागापुष्णी अम्मा के नाम से जाना जाता है तथा शिव या भैरव को रक्ष वंश यानी राक्षसों के ईश्वर राक्षसेश्वर या नायंनार कहा ज...

Aug 01, 202317 minEp. 41

विराट अंबिका शक्तिपीठ - भरतपुर, जयपुर

अंबिका देवी विराट शक्तिपीठ सतयुग में देवी सती के बाए पैरो की उंगलियों का निपात हुआ था। यहां की शक्ति है मां अंबिका और भगवान शिव यहां भैरव अमृत के रूप में रहते है. इस मंदिर की मान्यता है की, महाभारत काल में जुए के खेल में कौरवों ने पांडवों को छल से हरा दिया। इसके चलते उन्हें 12 साल के वनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला। तब पांडवो ने विराटनगर में ही अपना अज्ञातवास बिताया था उसी दौरान राजा युधिष्ठिर ने विराटनगर पहुंचकर इस शक्तिपीठ पर अपनी कुलदेवी का मानस पूजन किया था। कहते हैं की अज्ञातवास के समय दे...

Jul 24, 202313 minEp. 40

ताराचंडी शक्तिपीठ - सासाराम, बिहार

इस एपिसोड में हम जानेंगे कि नारायण ने किस जगह पर भस्मासुर का वध किया था और श्रीराम और भ्राता लक्ष्मण ने कैसे विद्या प्राप्त की और ताड़का का वध किया। हम आपको ले जाएंगे बिहार राज्य के रोहतास जिले के शहर सासाराम में, जहां ताराचण्डी शक्तिपीठ स्थित है। यह स्थान अपने प्राचीनतम और चमत्कारी इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। हम आपको मंदिर और शक्तिपीठ की महिमा के बारे में भी बताएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि आप अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए इस पवित्र स्थान का दर्शन करें। Learn more about your ad choices. Visit m...

Jul 17, 202314 minEp. 39

श्री चंद्रभागा शक्तिपीठ | प्रभास शक्तिपीठ - प्रभास पाटन, गुजरात

भगवान श्रीकृष्ण ने अपना शरीर प्रभास चंद्रभागा शक्तिपीठ में त्यागा था। यह एक बहुत ही पवित्र और महिमामयी जगह है जहां श्रद्धालुओं को अपने पिछले पापों से मुक्ति मिलती है और उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मंदिर में मां काली की विग्रह और शिवलिंग के दर्शन होते हैं और इस मंदिर की ओर जाने वाला रास्ता श्री राम मंदिर के प्रवेश द्वार के बाईं ओर से जाता है। यह मंदिर भगवान शिव और मां चंद्रभागा की उपासना करने वालों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। तो चलिए इस एपिसोड में हम चलते है गुजरात के प्रभासपाटन क्षेत्...

Jul 10, 202314 minEp. 38

आरासुरी अम्बाजी शक्तिपीठ - जूनागढ़, गुजरात

गुजरात के राजधानी गांधीनगर से 147 किलोमीटर और 3 घंटे की दूरी पर पर्वत की चोटी पर स्थित है अंबाजी शक्तिपीठ। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां माता के हृदय के एक भाग का निपात हुआ था। इस मंदिर में शक्ति को ‘कुमारी’ के रूप पूजा जाता है और शिव को ‘कालभैरव’ के रूप में पूजा जाता है। गुजरात में माता के तीन शक्तिपीठ स्थापित हैं - अम्बिका, कालिका तथा चंद्र भंगा प्रभास। अंबाजी मंदिर हर सुबह अंबे मां यंत्र के दर्शन के लिए खुलता है। गर्मियों एवं बारिश के दिनों में सुबह 7:00 से 9:00 तक मंदिर के दर्शन होते हैं ...

Jul 03, 202318 minEp. 37

कालमाधव | शोण देश शक्तिपीठ - अमरकंटक, मध्यप्रदेश

कालमाधव शक्तिपीठ में माता सती के बाया नितंब का निपात हुआ और यहां से सोन नदी प्रकट हुई । यहां की शक्ति है मां काली और भैरव को अतिसांग के नाम से जाना जाता है। यहां से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है सोनदेश शक्तिपीठ जहां माता का दायां नितंब गिरा था। और यहां से ही नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है। यहां को शक्ति है मां नर्मदा और भैरव को भद्रसेन के नाम से पुकारा जाता है। नर्मदा नदी का उद्गम सोनदेश शक्तिपीठ के एक कुंड से होता है। नर्मदा नदी में बसने वाले सभी कंकर को शंकर कहा जाता है, और सोन नदी का उद्गम कालमाधव श...

Jun 23, 202318 minEp. 36

कांची कामाक्षी देवी शक्तिपीठ - कांचीपुरम, तमिलनाडु

कामाक्षी अर्थात सबसे सुंदर आँखों वाली। जिनकी नेत्रों के दर्शन मात्र से ही भक्तों के भाग्य बदल जाते हैं। कहते है देवी कामाक्षी अम्मा की एक आंख में लक्ष्मी और दूसरी में सरस्वती मां का वास है। यहां की शक्ति है मां 'देवगर्भा' तथा भैरव यानी शिव को 'रुरु' कहते हैं।यहां पर देवी सती के अंगों के निपात को लेकर तीन विभिन्न मान्यताएं है। कुछ लोगों का मानना है कि यहां देवी देह का कंकाल गिरा था जबकि अन्य मतों के अनुसार यहां देवी देह पर पहना हुआ आभूषण 'उत्तियाना' जो की पेट पर धारण किया जाता है वह गिरा था लेकिन...

Jun 17, 202321 minEp. 35

शिवानी चित्रकूट | रामगिरी शक्तिपीठ - चित्रकूट, उत्तर प्रदेश

चित्रकूट की पावन धरती पर ही रामचरितमानस जैसे अमर कृति लिखने वाले गोस्वामी तुलसीदास ने यहां कई वर्ष व्यतीत किए। उन्होंने ही भगवान श्री राम की भक्ति के कारण चित्रकूट को रामगिरी रूप में वर्णित किया है। और इसी स्थान पर तुलसीदास ने हनुमान बाबा की सहायता से भगवान श्री राम के साक्षात दर्शन भी किए। पौराणिक ग्रंथों में विवरण आता है की राम के आगमन से पूर्व ही सतयुग के प्रारम्भ से चित्रकूट एक बहुत सुन्दर देवी पीठ था। इस जगह पर माता सती का दाया वक्ष का निपात हुआ था। यहां की शक्ति है मां 'शिवानी' और भैरव यान...

Jun 09, 202314 minEp. 34

देवी तालाब मंदिर | त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ - जालंधर, पंजाब

इस स्थान पर देवी मां के बाएं वक्ष यानी बाएं स्तन का निपात हुआ हुआ था इसीलिए माना जाता है की मां त्रिपुर मालिनी संतान हीन दंपतियों को ममता का वरदान देती है। श्रीमद्देवी भागवत् पुराण में जलंधर की कथा है। उसके अनुसार भगवान शिव के क्रोध से जालंधर की उत्पति हुई वो भगवान शिव के समान ही सुंदर और बलशाली था लेकिन क्रोध से उत्पन्न होने के कारण वो नकारात्मकता से भरा हुआ था इसलिए वो राक्षस बन गया। साथ ही उसने अपने बल और बुद्धिमत्ता से जालंधर रक्षसो का राजा बन गया और देवताओं के साथ उसने कई युद्ध लड़े। आगे की...

Jun 02, 202313 minEp. 33

कामाख्या शक्तिपीठ - गुवाहाटी, असम

कामाख्या मंदिर के गर्भ ग्रह में देवी की किसी प्रतिमा की पूजा नहीं होती बल्कि यहां माता सती की योनि की पूजा होती है जिसका सतयुग में भगवान विष्णु द्वारा माता सती को सुदर्शन से विभाजित करने के बाद गुवाहाटी में निपात हुआ था रहस्मयी बात है योनि पिंड से लगातार बहता झरना .. इसी के साथ जून के महीने में माता ३ दिन के लिए रजवाला होती है.. पुजारी द्वारा मां की योनि के चारों ओर एक साफ सूखा सूती कपड़ा बिछाया जाता है। जिसके बाद 3 दिन के लिए मंदिर के कपाट बंद हो जाते है बाद में जब मंदिर खोला जाता है तो वह वस्त...

May 26, 202327 minEp. 32

सावित्री शक्तिपीठ। माँ भद्रकाली - कुरुक्षेत्र, हरियाणा

मान्यता के अनुसार कुरुक्षेत्र के शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर यानि सावित्री शक्तिपीठ में मां सती का दाहिना टखना का निपात हुआ था। किंवदंती है कि महाभारत युद्ध शुरू करने से पहले, भगवान कृष्ण के साथ पांडवों ने जीत हासिल करने की उत्कट आशा के साथ इस पवित्र स्थल पर आशीर्वाद मांगा और प्रार्थना की। अपनी भक्ति के एक संकेत के रूप में, उन्होंने अपने रथों से घोड़ों का दान किया, चांदी, मिट्टी या अन्य सामग्रियों से बने घोड़ों की भी पेशकश करने की एक कालातीत परंपरा की शुरुआत करी। इसके अतिरिक्त, शक्तिपीठ...

May 15, 202313 minEp. 31

ललिता देवी मंदिर - प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर के दक्षिण दिशा में यमुना नदी के तट पर सती के हाथ की उंगली गिरने से भगवती ललिता का प्राकट्य हुआ था। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती मां ललिता के चरण छूकर ही बहती थी। इसलिए मां को प्रयाग की महारानी भी कहा जाता है। यहां मुख्य रूप से देवी के तीन स्वरूपों की पूजा होती है। मां ललिता देवी, कल्याणी देवी और अलोपी देवी के मंदिरों को शक्तिपीठ माना गया है। देवी की उंगलियां संभवतः तीनो स्थानों पर गिरी इसलिए तीनों में से कौन श्रेष्ठ कौन असली का...

May 07, 202315 minEp. 30

जय दुर्गा शक्तिपीठ | हृदय पीठ बैद्यनाथ धाम - देवघर, झारखंड

शिव तथा सती के ऐक्य का प्रतीक है। शिव पुराण के अध्याय 38 में भी द्वादश ज्योर्तिलिंग की जो चर्चा की गई है, उसमें बैद्यनाथं चिताभूमौ का उल्लेख है। जो यह स्पष्ट करता है कि यहाँ सती का हृदय गिरा था। यहाँ की शक्ति 'जयदुर्गा' तथा शिव 'वैद्यनाथ' हैं। यह धाम सभी ज्योतिर्लिंगों से सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के साथ शक्तिपीठ भी मौजूद है। इसी कारण से इस स्थान को ह्रदय पीठ या हार्द पीठ के नाम से भी जाना जाता है। जहां पर मंदिर स्थित है उस स्थान को देवघर यानी देवताओं का घ...

May 01, 202321 minEp. 29

गायत्री देवी मणिबंध शक्तिपीठ - पुष्कर, राजस्थान

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। इस गायत्री मंत्र को चार वेदो का सार बताया गया है और गायत्री माता सभी वेदो की माता है पहले गायत्री मंत्र की महिमा सिर्फ देवी देवताओं तक सीमित थी लेकिन महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तपस्या करके इस मंत्र को प्राप्त किया और सृष्टि कल्याण हेतु आम जन तक पहुंचाया. राजस्थान के पुष्कर शहर में मणिबंध मणिवेदिका या गायत्री पर्वत पर स्थित है गायत्री देवी मणिबंध शक्तिपीठ। यहाँ देवी सती के दोनों मणिबंध या कलाई का निपात हुआ था कुछ लोग ऐसा ...

Apr 24, 202313 minEp. 28

माँ बहुला शक्तिपीठ - केतुग्राम, पश्चिम बंगाल

बाई भुजा से माता रानी असुर, दैत्य, नकारात्मकता और भक्तों के संकटों को नष्ट कर देती हैं और दाहिनी भुजा से अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और उनका कल्याण करती हैं। इस एपिसोड में जानिए पश्चिम बंगाल के केतुग्राम में अजोय नदी के किनारे स्थित माँ बहुला शक्तिपीठ की कहानी. जहां माता सती की बाई भुजा का निपात हुआ था। जिसके दर्शन मात्र से आपके जीवन के सभी नकारात्मकताएं, कष्ट आपके ऊपर किए हुए काले जादू, भूत प्रेत बाधा, तंत्र मंत्र उपचार सब नष्ट हो जाते हैं।यहां की शक्ति है मां बहुला और भैरव यानी शिव को भीर...

Apr 17, 202311 minEp. 27

मानस शक्तिपीठ | दक्षायनी - कैलाश पर्वत, मानसरोवर, तिब्बत

इस एपिसोड में हम बात करेंगे दक्षायणी देवी मानस शक्तिपीठ की। कैलाश पर्वत के निचले भाग में स्थित मान सरोवर के किनारे स्थित यह शक्तिपीठ है जहां की अधिष्ठात्री देवी हैं माता दक्षायनी, जिन्हें कुमुदा के नाम से भी जानते हैं। मान सरोवर यानी मन का सरोवर के किनारे होने से इस जगह नाम मानस शक्तिपीठ हुआ। माता के दाहिने हाथ का निपात इसी स्थान पर हुआ था। वही दाहिना हाथ जिसे वरद हस्त यानी आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices

Apr 10, 202311 minEp. 26

जानकी मन्दिर | मिथिला शक्तिपीठ - जनकपुर, नेपाल

इस एपिसोड में हम माता सती के उस शक्तिपीठ की बात करेंगे जो राजा जनक और सुनैना माता की पुत्री सीता माता की जन्मस्थली के साथ-साथ भगवन राम और माता सीता की पहली मुलाकात का साक्षी रहा जो जगह आज सीता महल के नाम से प्रसिद्ध है। नेपाल की राजधानी काठमांडू से लगभग 225 किलोमीटर और भारतीय सीमा क्षेत्र से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर धनुषा जिले के जनकपुर मंडल में स्थित है जानकी देवी मंदिर और मथिला शक्तिपीठ। बहुत ही कम लोगों को पता है कि यह स्थान देवी मां का शक्ति पीठ भी है। जहाँ माता सती के बाये कंधे का निपात ...

Apr 03, 202315 minEp. 25

रत्नावली शक्तिपीठ - खानाकुल, आरामबाग, पश्चिम बंगाल

ऋषि राजा सूरत को बताते हैं कि राजन जब ब्रह्मा जी ने वहां मधु और कैटव को मारने के उद्देश्य से भगवान विष्णु को जगाने के लिए तमोगुण की अधिष्ठात्री देवी योगनिद्रा कि इस प्रकार स्तुति की तभी भगवान के नेत्र मुख कमल नासिका और वक्ष स्थल से निकलकर अव्यक्त जन्में ब्रह्मा जी की दृष्टि के समक्ष खड़ी हो गई योग निद्रा से मुक्त होने पर स्वामी भगवान जनार्दन निद्रा से जाग उठे फिर उन्होंने उन दोनों को देखा दोनों मधु और कैटव अत्यंत बलवान और पराक्रमी थे और क्रोध से लाल आंखें किए ब्रह्मा जी को खा जाने के लिए उनकी और...

Mar 27, 202316 minEp. 24
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